कुम्भ के पावन पर्व पर तीर्थों का राजा कहे जाने वाले प्रयागराज में आपको भी सौभाग्य प्राप्त हो रहा है अपने लिए यज्ञ करवाने का, उसमें आहुति डालने का, नारियल चढ़ाने का, पाठ करवाने का, प्रसाद प्राप्त करने का। पहली बार देश के संतों ने यह निर्णय लिया है कि इस पावन कुम्भ का, पावन धरा प्रयागराज का पुण्य घर-घर पहुँचे। इसके लिए उन्होंने देश-विदेश में मौजूद सनातन धर्म प्रेमियों की मनोकामना पूर्ण हेतु, पूण्य प्राप्त करने के लिए यज्ञ करने का निर्णय लिया है।
इस यज्ञ का, कुम्भ का, प्रयाग की धरा का पुण्य प्राप्त करने के लिए, घर में सुख-शांति, समृद्धि के लिए, मन वांछित फल प्राप्ति के लिए आप अपनी लिए यज्ञ में आहुति, नारियल, संकल्प लेने इत्यादि के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करें। आप इस पूजा का लाइव प्रसारण देखकर इसका पूण्य प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको बस अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
सनातन मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और तन्मयता के साथ भगवान की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, उसे कभी खाली हाथ नहीं रहना पड़ता।
सर्वोच्च शक्ति स्वयं उसे सही मार्ग पर चलने के प्रेरित करती है। इसलिए अगर आप भगवान की पूजा करते समय पूरी श्रद्धा और भाव रखते हैं तो आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, आप जिस चीज की चाहत रखते हैं, वह आपको अवश्य मिलती है।
इन सभी के अलावा भी बहुत से कारण हैं जिनके आधार पर पूजा करने का विधान है। जिनमें धन-संपदा की प्राप्ति, सुख-समृद्धि, विवाह, संतान प्राप्ति आदि जैसे कारण शामिल हैं। ऐसी बहुत सी पूजाएं हैं जिन्हें किसी ना किसी विशिष्ट दिन पर करने का विधान है, तभी आपकी मनोकामना पूर्ण भी होती है।
वैदिक धर्म में पूजा करना या करवाना, दोनों ही बहुत जटिल कर्मकांडों में शामिल है, क्योंकि इसमें मंत्रों के सही उच्चारण के साथ-साथ विधि का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। सबसे मुश्किल काम है कि विद्वान पंडित/आचार्य कहां से लाए।
जब भी कोई भक्त पूजा करवाने का संकल्प लेता है तो उसे यह बताया जाता है कि आप किसी ना किसी विशेषज्ञ (विद्वान आचार्य/पंडित) की सहायता अवश्य लें, तभी आपको उस पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होगा। पूजा का ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि या तो आप पूरे वैदिक तरीके से पूजा/यज्ञ को संपन्न करें या फिर किसी अच्छे आचार्य/पंडित/पुरोहित की सलाह लें। जय हो इंडिया पर आपके लिए बहुत सी ऑनलाइन पूजा उपलब्ध हैं, जो आप किसी भी शुभ दिन पर करवा सकते हैं।
सर्वप्रथम भगवान ब्रह्मा जी ने इंसान के साथ मिलकर की यज्ञ की रचना की थी। अग्नि को परमात्मा का मुख/मुँह माना गया है इसलिए इसमें आहुतियां दी जाती है क्योंकि आहुति भगवान का भोजन है।
Read Moreयज्ञ/पूजा की सामग्री में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। नारियल के बिना की गई किसी भी पूजा को अधूरा माना जाता है। मान्यता है कि भगवान को पूरी श्रद्धा से नारियल चढ़ाते हैं तो आपके दुख- दर्द दूर हो जाते हैं,
Read Moreशास्त्रों में वर्णन है कि संकल्प मात्र से आप पूजा, कथा, हवन/यज्ञ आदि का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आप उस पूजा, कथा, हवन/यज्ञ में शामिल हो। आवश्यक है तो आपका संकल्प।
Read Moreजब हम भगवान को खाघ पदार्थ अर्पण करते है तो वह "भोग या नैवेध" कहलाता है और भगवान के ग्रहण करने के बाद वह "प्रसाद" बन जाता है। प्रसाद चाहे सूखा हो, बासी हो, अथवा दूर देश-विदेश से लाया हुआ हो, उसे पाते ही खा लेना चाहिये।
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